Thursday, March 13, 2008

राज़ -ऐ -दिल


राज़ -ऐ दिल ज़ाहिर हुआ तो कितने अफसाने बने
तब मेरी दीवानगी के कितने दीवाने बने

उमर भर की बंदगी का क्या सिला हमको मिला
हर इक अपनों बेगाने की नज़रों के निशाने बने

कौन कहता है बुरी आदत है मेरी मैकशी
पहले तू जैसो ने ठुकराया तो मैखाने बने

जिनकी अक्ल को मानते थे शहर भर के अकलमंद
इक तेरी उल्फत मेंफिरते है वो दीवाने बने

तज़ुर्बात



वो ही लूटेगा तुम्हे होगा जिसपे तुमको फख्र
ये मेरा तलख तज़ुरबा है जो हुआ अक्सर

हमने तन्हाई में सजा ली थी अपनी महफिल
उनको रंगीनी-ऐ-महफिल भी न रास आई मगर

या खुदा शुक्र है इक दिन भी तो है रात के बाद
उनको रंगीनी -ऐ महफिल भी न रास आई मगर

तब से आता है मजा कामिल को दर्द सहने में
जब से हमदर्द बन गया है मेरा दर्द -ऐ -जिगर

Tuesday, March 11, 2008

qaida delhi 1

धाती धाती धगेन धातिधा घिना तिना किना ,तिधाघिना धा घिना धाती धागिना तिना किना
ताती ताती ताकिना तातिता किना तिनाकीना , तिधा घिना धाघिना धातिधा घिना तिना किना
Dhati dhati dhagina dhati dha gina tina kina, tidha gina dhagina dhatidha gina tina kina
tati tati takina tati ta kina tina kina. tidha gina dhagina dhatidha gina dhina gina
This is a beautiful qaida from delhi baaj . This baj is famous as do anguli ka baaj(2 finger"s baaj). While playing this qaida only 1st &2nd fingers are used . This is the speciality of this qaida.

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